AI Affects Government Jobs In 2024 And Benefits In India

AI Affects Government Jobs In 2024 And Beyond?

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AI Affects Government Jobs इस मुद्दे को समझने से पहले हमे कुछ पूर्व अनुभव को देखना होगा। जब नया तंत्रज्ञान कंप्यूटर के रूप मे आया तो उसने उत्पादकता बधाई, दुनिया भर में पहुंच और तेज वैश्विक संचार में सुधार किया। और एक बात, कंप्यूटर ने कागजी कार्य प्रणाली को बदल कर रख दिया है या समाप्त कर दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर ने मानव समस्या-समाधान, सोचने, जानने, सीखने और योजना बनाने की क्षमताओं में सुधार किया है।

इसी कड़ी मे आगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने निस्संदेह महत्वपूर्ण प्रगति की है जैसे यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि एआई ने बैंकिंग उद्योग में रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए हैं। एआई इंजीनियरों, डेटा वैज्ञानिकों और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों जैसे विशिष्ट पदों की बहोत मांग बढ़ी है।

इसके अलावा, जब वित्तीय सलाह और रणनीतिक निर्णय लेने जैसे जटिल और महत्वपूर्ण मामलों की बात आती है तो मानवीय स्पर्श और निर्णय लेने की क्षमताओं को अभी भी महत्व दिया जाता है।

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AI Affects Government Jobs इस पर विश्लेषकों की भविष्यवाणी

एआई और उन्नत तकनीक का अनुमान है कि समय के साथ काम करने के तरीके स्मार्ट हो जाएंगे और कंप्यूटर अधिक इन्सान की तरह सोचने लग  जाएंगे। मुद्दा यह है कि इससे कुछ पद पूरी तरह ख़त्म भी हो सकते हैं।

वर्ल्ड इंटेलिजेंस कांग्रेस के अनुसार, 2024 तक एआई, वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट और चैटबॉट लगभग 69% मैनेजमेंट जैसे काम वालो की जगह ले लेंगे।

फॉर्च्यून जैसे उद्योग विश्लेषकों की भविष्यवाणी को माने तो “अगले 15 वर्षों में रोबोट 40% नौकरियों की जगह ले लेंगे।”

लेकिन क्या आप मानते हैं कि रोबोट आपके करियर पर भी कब्ज़ा कर लेंगे? व्यक्तिगत कार्यों पर एआई के सटीक प्रभाव का अनुमान लगाना मुश्किल है। लेकिन नौकरीयों पर इसके प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है यह एक मुद्दा बना रहेगा।

Government Jobs याने सुरक्षाकी गारंटी!

हमारे देश भारत मे government jobs को ज्यादा तवज्जो दिया जाता है। एक बार सरकारी नोकरी लग गयी तो वो निश्चिन्त हो जाता है। इसके कुछ प्रमुख कारन:

  • नौकरी की सुरक्षा
  • कार्य संतुलन
  • समाज में इसकी मान्यता
  • अन्य उपयुक्त कैरियर विकल्पों का अभाव

ऐसा हर युवा और हर आम भारतीय का मानना है इसलिए सरकारी नोकरी पाने के लिए युवा बहोत मेहनत करते रहते है। बिहार और दूसरे राज्यों के लाखों ऐसे छात्र हैं, जो सालों से सरकारी नौकरी के भरोसे बैठे हैं। क्या सरकार के पास इतनी नौकरियां हैं कि लाखों छात्रों को नौकरी मिल पाए?

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में सेंटर फ़ॉर सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट सेंटर के प्रमुख अजीत बसोले देश में बढ़ती बेरोज़गारी पर सालों से काम कर रहे हैं। उनके मुताबिक़, दिसंबर 2021 में भारत में बेरोज़गारी दर 7.9 प्रतिशत थी। वहीं अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर फ़ॉर सस्टेनेबल एंप्लॉयमेंट रिसर्च सेंटर के मुताबिक़, बिहार में बेरोज़गारी की दर 40 फ़ीसदी और उत्तर प्रदेश में 22 फ़ीसदी है। जानकारों का मानना है कि ज़मीनी हालात आंकड़ों से भी बदतर हैं।

अब इस मे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने कुछ जॉब्स कम कर दिए तो युवावो का सपना धरा की धरा रह जायेगा? ये चिंता का विषय जरुर होना चाहिए।

AI Affects Government Jobs पर सरकार क्या सोचती है

हाल ही मे चैट जीपीटी के प्रमुख सैम ऑल्टमैन ने भारत का दौरा किया। उसने कहा भारत ने चैटजीपीटी को सही मायने में अपनाया है। इस के लिए भारत की तारीफ की, सरकार भी इसमें भारी निवेश कर रही है। इस पहल के तहत भारत जीपीएआई की अध्यक्षता भी कर रहा है।

हालाँकि, इस सबंध मे राजीव चंद्रशेखर (युनियन मिनिस्टर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी) ने एक पत्रिका से इंटरव्यू मे कहा, ”मुझे नहीं लगता कि AI नौकरियों को प्रभावित करेगा। यह प्रारंभिक चरण है और AI को अभी लंबा सफर तय करना है। यदि हम आज AI को देखें तो कार्य तो कर सकते हैं लेकिन इंसानों की जगह नहीं ले सकते। एक भ्रम बना दिया गया है कि AI की वजह से नौकरियां चली जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं है ऐसा उस स्थिति में हो सकता है जब AI सक्षम हो जाएगा मानव व्यवहार की नकल करने और तर्क करने में।”

उन्होंने आगे कहा कि “एआई कुछ वर्षों के बाद उन नौकरियों की जगह ले सकता है जिनमें बहुत कम स्तर की बुद्धिमत्ता और दोहराए जाने वाले कार्यों की आवश्यकता होती है। लेकिन मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि हमें अगले कुछ वर्षों में इसके द्वारा नौकरियों को खत्म करने का तथाकथित खतरा नहीं दिखता है। एआई कुछ वर्षों के बाद उन नौकरियों की जगह ले सकता है जिनमें बहुत कम स्तर की बुद्धिमत्ता और दोहराए जाने वाले कार्यों की आवश्यकता होती है। लेकिन मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि हमें अगले कुछ वर्षों में इसके द्वारा नौकरियों को खत्म करने का तथाकथित खतरा नहीं दिखता है।”

उनकी माने तो सब ठीक है, लेकिन आने वाले वक़्त मे क्या होगा वो तो वक़्त ही बताएगा। हमें सभी विकल्प तलाशते रहना चाहिए और तकनीकी रूपसे भी यथा संभव जागरूक होना चाहिए।

अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
– जिगर मुरादाबादी

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